बताऊँ क्या उस फूल की दास्ताँ
लोग कहते हैं गुलाब जिसको
लोगों ने देखि तो उसकी खूबसूरती
उसका दर्द किसी ने ना जाना
चलो मैं सुनाती हूँ उस फूल की दास्ताँ
Thursday, March 4, 2010
Just like that
झांकता है अंखियों के झरोखे से डरा सहमा सा कोई, जरा-सी आहट होते ही सहम जाता है कोई, माँ के आँचल में आके सुकून पाता है कोई, बावला कहते है लोग मुझे, क्या बावलों में दिल नहीं.
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